आज का परिचय बहुमुखी प्रतिभा के धनी छोटी सी उम्र में अपनी लेखनी के बल पर जादू कर काव्यश्री एवं साहित्य रत्न जैसे सम्मान प्रप्त करने वाले हमारे समाज के गौरव,गर्व छोटे भाई देवाराम भाम्बू का है जिन्होंने अपनी लेखनी से गद्य और पद्य दोनो विद्याओं में अपनी छाप छोड़ी है जो अपने अपने देश के लिए गर्व के साथ - साथ अपने परिवार भाम्बू गोत्र के लिए बहुत बड़ा गौरव है। अपने समाज के उस गौरव का गुण्गान करते हुए मुझे अपार हर्ष हो रहा है और आपको ...कमेंट करके जरूर बताईएगा ?
परिचय :-
नाम : देवाराम भाॅमू
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देवाराम भाॅमू |
जन्म : 30 मार्च 1982
ग्राम पोस्ट : जाखली
तहसील मकराना
जिला नागौर राजस्थान
पिता : श्री कल्ला राम जी भाॅमू
माता : श्रीमती गणपती देवी
पत्नी : श्रीमती कमला
पुत्र : हिमेश भाॅमू
गगन भाॅमू
शिक्षा : एम. ए., बी. एड.
सम्प्रति : शिक्षक एवं स्वतंत्र लेखक
प्रकाशन विवरण :
आनंद-सारा(उपन्यास)प्रकाशित कृति
एवं विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं एवं सांझा काव्य संग्रहों में कविताओं एवं गीतों का प्रकाशन।
अन्य रचनाएं
- सब दिन होता न एक समान स्वर्णिम दर्पण पत्रिका में छपी
- अन्नपूर्णा हो तुम घर की कविता कानन पत्रिका में छपी
- तुम संग जुड़े नेह के तार प्रेरणा सांझा काव्य संग्रह
- उम्मीदों का साथ न छोड़ो काव्यमंजरी मासिक पत्रिका
- आशाओं के दीप काव्यमंजरी मासिक पत्रिका
- जंगल अभ्युदय हिन्दी मासिक पत्रिका
- मन बोला स्पन्दन काव्य संग्रह
- एक मैं एक तुम मिल के हम हो गये। अभ्युदय हिन्दी मासिक पत्रिका
कई और है जो अभी प्रकाशित नहीं हुई है।
साहित्य लेखन विद्या : गद्य-पद्य दोनों
अन्य रूचि : चित्रकारी
सम्मान एवं पुरस्कार :
इन्हे इनकी स्वर्णिम रचनाओं के लिए कई तरह के पुरस्कारों नवाजा गया है जो निम्न है:
1- ब्रजवानी जन सेवा समिति नगर, भरतपुर एवं काव्य गोष्ठी मंच जयपुर द्वारा साहित्य रत्न सम्मान
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साहित्य रत्न सम्मान |
2- विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा राजस्थान काव्य श्री सम्मान 2021
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काव्य श्री सम्मान 2021 |
3- KB Writers द्वारा सम्मान पत्र
4- काव्य मंजरी मासिक पत्रिका द्वारा सम्मान।
विद्यार्थी जीवन से ही इनकी रूचि लेखन के प्रति रही इसका उदाहरण आप छात्र जीवन में रही इनकी उपलब्धयां देखकर लगा सकते हैं।
1- राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान उदयपुर द्वारा आयोजित राज्य प्रतिभा विकास परीक्षा में चयन 1999
2- ग्रामीण प्रतिभा खोज परीक्षा में अव्वल स्थान
3- राज्य के प्रतिभाशाली छात्रों के लिए आयोजित राज्य प्रतिभा विकास प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने का गौरव प्राप्त हुआ।
4- एकाभिनय प्रतियोगिता में जिला स्तर पर प्रथम रहे।
सम्पर्क :
देवाराम भाॅमू
जाखली, तहसील-मकराना, जिला नागौर, राजस्थान
Mobile no- 09571524500
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आनंद- सारा
बहुचर्चित आनंद- सारा पुस्तक मे दो लघु उपन्यास है। एक उपन्यास इसी शीर्षक 'आनंद-सारा 'से है तथा दूसरा 'एक भूल और जीवन 'है।
पहला उपन्यास ग्रामीण पृष्ठभूमि के पात्रों को लेकर विभिन्न नाटकीय घटनाक्रमो से गुजरता है। जो स्वतंत्रता पूर्व के काल पर आधारित है।
यह उपन्यास कसी हुई भाषा शैली के सहारे चलता है। जो पाठकों को निरन्तर साथ बनाये रखने में सक्षम हैं।
इसके घटनाक्रम प्रकृति के बेहद करीब है। संघर्ष, मेहनत, परिवार एवं देशभक्ति इसमें मूल विषय है।
दूसरा उपन्यास 'एक भूल और जीवन 'है। जिसमें हमारे परिवेश के एक खानाबदोश जाति के चित्र को उकेरा गया है। नोरता इसका मुख्य पात्र हैं।
उसका एक गलत निर्णय, उसके परिवार को तबाह कर देता है।
यह उपन्यास भाॅमू परिवार के लिए गौरव की बात है तथा परिवार की नाक है।
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इनके उपन्यास आनन्द सारा के बारे में प्रो. प्रबोध कुमार गोविल, जयपुर द्वारा जो समिक्षात्म शब्द लिखे गये वे इस प्रकार हैं :
कम शब्दों में ज्यादा कहने का कौशल
कुछ कथाएँ लोककथा जैसा आनंद देती हैं। पाठक को इस बात से कोई सरोकार नहीं होता कि ये कहानी किसने लिखी है, कब लिखी है, वह तो केवल रचना में रमकर ख़ुद को खो देता है। आधुनिक तकनीक के इस अति-वैज्ञानिकता भरे समय में तो हम पत्र पत्रिकाओं, - पुस्तकों व सोशल मीडिया मंच पर ऐसी अनेक रचनाओं से रोज दो-चार होते ही रहते हैं जिन्हें एक-दूसरे के लिए अँगुलियों की हल्की सी जुंबिश से प्रसारित किया जाता रहता है और एक विराट समूह इस रचनात्मकता का रसास्वादन करता रहता है। फिर भी पुस्तकों की महत्ता कम नहीं होती।
'आनंद-सारा' पुस्तक में दो लघु उपन्यास हैं जिन्हें हम उपन्यासिका भी कह सकते हैं, यद्यपि अब विभिन्न विधाओं में आकार को लेकर कोई विशेष आग्रह न होने के चलते 'उपन्यासिका' कहने का रिवाज़ छूट सा गया है। एक उपन्यास इसी शीर्षक 'आनंद-सारा' से है तथा दूसरे का शीर्षक 'एक भूल और जीवन' है।
पहला उपन्यास ग्रामीण पृष्ठभूमि के पात्रों को लेकर उत्पन्न विभिन्न नाटकीय घटनाक्रमों से गुजरता है जिसमें बीते गुज़रे समय के नैतिक मूल्यों और सोच की गंध - निरंतर आती है।
इस कथानक में ऐतिहासिक उपन्यासों जैसा ट्रीटमेंट रोचकता को बनाए रखता है। बेहद कसी हुई भाषाशैली में छोटे-छोटे संवादों और वाक्यों के सहारे जो कहानी चलती है वो पाठक को लगातार अपने साथ बनाए रखने में सक्षम है।
आधुनिक काल से पहले के चंद दशकों तक देशभर में सामंतशाही का बोलबाला रहा। रजवाड़े, रियासतें और जागीरें एक ख़ास किस्म की संस्कृति का पालन करते रहे
जिसकी निर्मिति समय के साथ-साथ परंपराओं और रूढ़ियों में आबद्ध रही। इसके अवशेष अब तक भी दिखाई देते हैं। बल्कि कहीं-कहीं तो यह संस्कृति सामंतशाही की राख से किसी फीनिक्स की तरह उठकर फ़िर जीवंत है। और जाहिर है कि अगर किसी राख में चिंगारियाँ मौजूद हों तो उसे मात्र विगत अथवा अतीत की संज्ञा दे देने के भी अपने जोखिम हैं। वह किसी पीढ़ी का 'वर्तमान' और किसी पीढ़ी का ''भविष्य' भी है।
यही कारण है कि 'आनंद-सारा' जैसे कथानकों की प्रासंगिकता कभी समाप्त नहीं होती।
इस किताब में संकलित दूसरा उपन्यास 'एक भूल और जीवन' भी एक रोचक कहानी है जिसके माध्यम से युवा रचनाकार ने समाज के उस तबके के सरोकार संजोए हैं जो अपने जीवन में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, पारिवारिक, नैतिक स्थायित्व नहीं पाता और एक अस्थिर, खानाबदोश ज़िन्दगी के निर्वाह में खर्च हो जाता है। यह तबका विपन्न ज़रूर है किंतु जीवन के प्रवाहों से महरूम नहीं है। यहाँ आकांक्षा भी है, जिजीविषा भी है, तृष्णा भी है, छलना भी है तो विडंबना भी है।
आप देखेंगे कि लेखक में पर्याप्त संभावना भी है। भाषा की स्फटिक-सी कीमती लकीरें आकर्षित करती हैं। कम शब्द देकर ज्यादा कह जाने का कौशल रचनाकार को आता है। मैं देवाराम भॉमू के भविष्य के प्रति आशान्वित हूँ और उन्हें शुभकामनाएँ देता हूँ।
प्रो. प्रबोध कुमार गोविल बी 301, मंगलम जाग्रति रेजीडेंसी 447, कृपलानी मार्ग, आदर्श नगर जयपुर-302004 ( राजस्थान)
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जितनी जानकारी मुझे देवाराम भॉमू के बारे में उपलब्ध हुई मैने आपके सामने शेयर कर दी है हांलाकि मैंने लिखने में पूर्ण सावधानी रखी है फिर भी कोई त्रुटि रह गई हो तो क्षमा प्रार्थी हूं और सुधार के लिए आपके सुझाव हमेशा आंमत्रित रहेंगे।
धन्यवाद।
आगे की पोस्ट में इनकी हर एक रचना कविता को
अलग अलग पोस्ट द्वारा डाला जायेगा।
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