आज आपके सामने पेश है साहित्य रत्न और काव्यश्री सम्मान प्राप्त देवाराम राम भाम्बू की स्पन्दन काव्य संग्रह में प्रकाशित काव्य रचना
मन बोला
धूप ज्यादा,
चलना काम कठिन,
यहाँ प्याऊ भी हैं,
प्यास से कंठ गये सूख ।
यहाँ कुछ आराम करे,
प्रस्वेद पोंछे,
हवा खायें,
जल पियें,
तब तक ठंड होगी,
ओ! मेरे मन
उतावला क्यों?
चले जायेंगे।
यहाँ कोई हमराही होगा,
साथ जायेंगे,
क्या मालूम?
कोई ऊँट वाला,
घोड़े वाला
हमें भी बिठा ले।
मन क्रोध से बोला-
किसकी करता तू प्रतीक्षा?
इस भयानक स्वप्न पर जाना,
चले जाओ अकेले,
अपने साहस पर,
मत मग्न हो भोग विलास पर,
न कोई हमराही
न कोई होगा।
रचनाकार :-
देवाराम भॉमू +919571524500
जाखली, मकराना
जिला नागौर
राजस्थान
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