गुरुवार, 4 नवंबर 2021

समस्त भाम्बू परिवारों को सुरेन्द्र सिंह भाम्बू की तरफ से दीपावली के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं

समस्त भाम्बू परिवारों को सुरेन्द्र सिंह भाम्बू के परिवार की तरफ से दीपावली के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं

सुख समृद्धि तथा एश्वर्य का प्रतीक पावन "दीपोत्सव" आपके लिए सपरिवार मंगलमय हो!
इस पर्व के शुभ अवसर पर आपको ढेर सारी शुभकामनाएं एवं उज्ज्वल भविष्य का कामना। 
आप व आपके परिवार के लिए यह पर्व हर्ष,उल्लास, खुशी ,उमंग के 
साथ  आए तथा प्रसन्नता अविराम आपके जीवन में 
सौदर्य मण्डित करती रहे। 
आने वाले वर्ष में आपकी और आपके अपनों की कीर्ति चहुं ओर फैले! 
आप जीवन में ऊँचाईयों को प्राप्त करें।
आपका जीवन सदैव उन्नति की और अग्रसर रहे
 इन्ही मंगल कामनाओं के साथ











" दीपावली मुबारक"
" दीपावली की हार्दिक बधाईयां "
" HAPPY DEEPAWALI "














क्रिकेट व आधुनिकरण ने ली आंचलिक (ग्रामीण ) खेलों की जान

पीपल के पेड़ से पद्मश्री पुरस्कार तक प्रकृति प्रेमी हिमताराम जी भाम्बू, हमारे भाम्बू परिवार व देश के गर्व

 

 6 फ़ीट ऊंचा पालक का पौधा मालीगांव



फाल्गुन मास,होली और धमाल,मोज़ मस्ती कहाँ गए वो दिन?सब कुछ बदल गया

 

भाम्बू गौत्र का इतिहास


मेरे बारे में ..


मंगलवार, 28 सितंबर 2021

" एक मैं एक तुम, मिल के हम हो गये " देवाराम राम भाम्बू की काव्य रचना

आज आपके सामने पेश है  साहित्य रत्न और काव्यश्री सम्मान प्राप्त देवाराम राम भाम्बू की अभ्युदय  हिन्दी मासिक पत्रिका  में 2021 में  प्रकाशित काव्य रचना  एक मैं एक तुम, मिल के हम हो गये।।



एक मैं एक तुम, मिल के हम हो गये।।


दबी प्रीत उर में
कुछ जल मिला
कुछ खाद
अंकुरित हो गई
हुआ प्रीत का सिंचन
इशारों में बात हुई
खामोश दिल की तरंग
अधरों से पार हुईं
समर्पण कर दिया हमने
रगो में समाये तुम
यादो को भाये तुम
और परिणाम !
एक मैं, एक तुम, मिलके हम हो गये
मुझसे मिल के दिलो जां सनम हो गये।
एक मैं एक तुम मिल के हम हो गये।


रचनाकार :- 

देवाराम भॉमू                   +919571524500
जाखली, मकराना
जिला नागौर
राजस्थान

कविता आपको कैसी लगी कॉमेंट करके जरूर बताना


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बहुमीखी प्रतिभा के धनी, काव्यश्री,साहित्य रत्न देवाराम भाॅमू समाज के गौरव

बहुमीखी प्रतिभा के धनी, काव्यश्री देवाराम भाॅमू समाज के गौरव

पीपल के पेड़ से पद्मश्री पुरस्कार तक प्रकृति प्रेमी हिमताराम जी भाम्बू, हमारे भाम्बू परिवार व देश के गर्व

 

 6 फ़ीट ऊंचा पालक का पौधा मालीगांव



फाल्गुन मास,होली और धमाल,मोज़ मस्ती कहाँ गए वो दिन?सब कुछ बदल गया

 आशाओं के दीप काव्यमंजरी में प्रकाशित काव्य रचना देवाराम राम भाम्बू

भाम्बू गौत्र का इतिहास


मेरे बारे में ..


मन बोला "काव्यश्री" सम्मान प्राप्त देवाराम राम भाम्बू की "स्पन्दन काव्य संग्रह" में प्रकाशित काव्य रचना

आज आपके सामने पेश है  साहित्य रत्न और काव्यश्री सम्मान प्राप्त देवाराम राम भाम्बू की   स्पन्दन काव्य संग्रह   में  प्रकाशित काव्य रचना 

मन बोला

विटप की छाह गहरी,

धूप ज्यादा, 
चलना काम कठिन, 
यहाँ प्याऊ भी हैं, 
प्यास से कंठ गये सूख ।
 यहाँ कुछ आराम करे,
 प्रस्वेद पोंछे,
 हवा खायें,
जल पियें, 
तब तक ठंड होगी,
ओ! मेरे मन
उतावला क्यों? 
चले जायेंगे।
यहाँ कोई हमराही होगा,
 साथ जायेंगे,
क्या मालूम?
कोई ऊँट वाला,
घोड़े वाला
 हमें भी बिठा ले। 
मन क्रोध से बोला-
 किसकी करता तू प्रतीक्षा?
 इस भयानक स्वप्न पर जाना, 
चले जाओ अकेले, 
अपने साहस पर, 
मत मग्न हो भोग विलास पर,
 न कोई हमराही
न कोई होगा।

रचनाकार :- 

देवाराम भॉमू                 +919571524500
जाखली, मकराना
जिला नागौर
राजस्थान

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बहुमीखी प्रतिभा के धनी, काव्यश्री देवाराम भाॅमू समाज के गौरव

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 6 फ़ीट ऊंचा पालक का पौधा मालीगांव




आशाओं के दीप काव्यमंजरी में प्रकाशित काव्य रचना देवाराम राम भाम्बू


फाल्गुन मास,होली और धमाल,मोज़ मस्ती कहाँ गए वो दिन?सब कुछ बदल गया

 

भाम्बू गौत्र का इतिहास


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जंगल "काव्यश्री" सम्मान प्राप्त देवाराम राम भाम्बू की "अभ्युदय पत्रिका" में प्रकाशित काव्य रचना

आज आपके सामने पेश है  साहित्य रत्न और काव्यश्री सम्मान प्राप्त देवाराम राम भाम्बू की अभ्युदय हिन्दी मासिक पत्रिका में जुलाई 2021 में  प्रकाशित काव्य रचना 

 जंगल


जीवन तो फूलों का है 
जंगल के भौरों का है 
शहर के खण्डहरों में तो 
चमगादड़ ही बसते हैं।

है ज्ञान का भण्डार यहाँ 
रहते हैं जंगल में मंगल
 नित होता यज्ञ दान यहाँ 
ऋषि मुनि यहाँ बसते हैं |

डाली पर कोयल बोले
 यहाँ तितलियाँ है मस्ती मे 
बना छतरी मोर नाचे
 तैरते हैं हंस ज्यों कश्ती में।

भौरों की भरमार है
 जंगल जीवन का सार है। 
है प्राणवायु का दाता 
प्राणवायु ही संसार है ।

जीव चींटी से बंदर तक
 रहते एक वट पर हजार
 उछल कूद करते रहते 
आते वृक्ष के आर पार

मिलते हैं जंगल में मंगल 
जंगल जीवन का आधार 
रहे जीव सभी मस्ती में 
यह ही प्रकृति का उपहा



रचनाकार :- 

देवाराम भॉमू                  +919571524500
जाखली, मकराना
जिला नागौर
राजस्थान

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बहुमीखी प्रतिभा के धनी, काव्यश्री देवाराम भाॅमू समाज के गौरव

पीपल के पेड़ से पद्मश्री पुरस्कार तक प्रकृति प्रेमी हिमताराम जी भाम्बू, हमारे भाम्बू परिवार व देश के गर्व

 


 6 फ़ीट ऊंचा पालक का पौधा मालीगांव



फाल्गुन मास,होली और धमाल,मोज़ मस्ती कहाँ गए वो दिन?सब कुछ बदल गया

 

भाम्बू गौत्र का इतिहास


मेरे बारे में ..


आशाओं के दीप काव्यमंजरी में प्रकाशित काव्य रचना देवाराम राम भाम्बू

आज आपके सामने पेश है  साहित्य रत्न और काव्यश्री सम्मान प्राप्त देवाराम राम भाम्बू की काव्यमंजरी  में प्रकाशित काव्य रचना 



आशाओं के दीप

थम गई है दुनिया
फिर तू कहाँ जाता है? 
रुक जाना राही
रुक जा
बाहर कोई हवा है, 
मारने वाली।
बदल गया है मौसम,
आंधी कोई भयानक आई है। 
रुक जा राही रुक जा
बीमारी कोई नई आई है। 
बाहर मौत का तांडव है,
उजड़ गये हैं घर,
उजड़ी है मानवता
लेकर अपने संग मौत
कोई बीमारी आई है।
रुत बदल गई.
मास बदल गये,
अपने भी बदल गये। 
रुक जा चार दीवारी में
बीमारी कोई आई है। 
कुछ दिनों की बात है
फिर आयेगा सावन,
भौरों की गूंज होगी।
कोयल की कूक होगी। 
नई आशाओं की किरणे
फिर धरती पर होंगी।
आशाओं के दीप जला दे
छोड़ नफ़रत की दीवारें 
ऊसर भूमि में,
बीज प्रेम के डाल दे।
ये दिन संकट के,
बीत जायेंगे।
मौसम खुशगवार होगा
कोरोना दुम दबा भागेगा।
हरियाली होगी, 
रिमझिम सावन होगा।
होंगे सपने फिर जीवित,
आशाओं की ओर कदम बढ़ा
निराशा करती निवास श्मशान में,
आशाओं के दीप जला दे,
रुक जा राही रुक जा।





रचनाकार :- 

देवाराम भॉमू       +919571524500
जाखली, मकराना
जिला नागौर
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बहुमीखी प्रतिभा के धनी, काव्यश्री देवाराम भाॅमू समाज के गौरव

पीपल के पेड़ से पद्मश्री पुरस्कार तक प्रकृति प्रेमी हिमताराम जी भाम्बू, हमारे भाम्बू परिवार व देश के गर्व

 


 6 फ़ीट ऊंचा पालक का पौधा मालीगांव



फाल्गुन मास,होली और धमाल,मोज़ मस्ती कहाँ गए वो दिन?सब कुछ बदल गया

 

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सोमवार, 20 सितंबर 2021

उम्मीदों का साथ न छोड़ो देवाराम भॉमू की रचना

आज आपके सामने पेश है  साहित्य रत्न और काव्यश्री सम्मान प्राप्त देवाराम राम भाम्बू की काव्यमंजरी में  प्रकाशित काव्य रचना  उम्मीदों का साथ न छोड़ो



उम्मीदों का साथ न छोड़ो


                           उम्मीदों का साथ न छोड़ो

कर्म पथ पर बढ़े चलो

हिम्मत वाले हो तुम तुफानो की दिशाएं मोड़ो

उम्मीदों का साथ न छोड़ो

पतझड़ आता है और चला जाता है

वृक्ष फिर सदा की भांति हरा हो जाता है

हर रात का सवेरा होता है।

चांदनी नहीं होती हर निशा

नहीं लदा रहता पेड़ फूलों से सदा

उठो!मत डूबो निराशा में

मत रहो अंधेरी दुनिया में त्याग दो रे निराशा

तुम हिम्मत वाले

जग के दीपक

उजियारा फैला दो

यह दुख तो झूठा है।

समझो रीति दुनिया की

कष्ट है पग-पग पर

फिर भी मुस्काओं

हर परिस्थिति में, या जुनून लेकर,

उठो और आगे बढ़ो,

क्यों बैठे हो बंद मकान में

इस बार असफल हुआ तो क्या हुआ

अबकी बार तू सफल होगा

पकड़ सिर बैठना काम कायरता का

रख बाहों में शक्ति

रोना और चिंता करना काम नहीं तेरा

रहे है कंटीली कर्म पथ न छोड़ो उम्मीदों का साथ न छोड़ो।

रचनाकार :- 

काव्यश्री देवाराम भॉमू
जाखली, मकराना
जिला नागौर
राजस्थान

कविता आपको कैसी लगी कॉमेंट करके जरूर बताना




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बहुमीखी प्रतिभा के धनी, काव्यश्री देवाराम भाॅमू समाज के गौरव

पीपल के पेड़ से पद्मश्री पुरस्कार तक प्रकृति प्रेमी हिमताराम जी भाम्बू, हमारे भाम्बू परिवार व देश के गर्व






फाल्गुन मास,होली और धमाल,मोज़ मस्ती कहाँ गए वो दिन?सब कुछ बदल गया

 

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